ITR Filing Deadline: पेनल्टी, ब्याज, जेल… ITR नहीं भरा है तो क्या-क्या हो सकता है आपके साथ

फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए आईटीआर (ITR) फाइल करने की डेडलाइन खत्म हो चुका है। हालांकि, बिलेटेड रिटर्न 31 दिसंबर तक दाखिल किया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 139 (4) के अनुसार, 31 जुलाई की नियत तिथि के बाद दाखिल किए गए ITR को बिलेटेड रिटर्न कहा जाता है। सवाल है कि जो टैक्सपेयर्स 31 जुलाई तक की डेडलाइन तक आईटीआर भरने से चूक गए हैं, उनका क्या होगा? ITR फाइल न करने के कई परिणाम हो सकते हैं। इसमें पेनल्टी से लेकर ब्याज और जेल समय तक शामिल है। आइए डेडलाइन तक ITR फाइल न करने के छह परिणामों पर एक नजर डालते हैं।

लेट फीस

31 जुलाई की डेडलाइन के बाद ITR फाइल करने पर आपसे लेट फीस वसूल की जाएगी। आईटी एक्ट की धारा 234F के तहत, अगर आप समयसीमा तक अपना ITR फाइल नहीं करते हैं, तो आपसे 5,000 रुपये की लेट फीस ली जा सकती है। हालांकि अगर आपकी सालाना इनकम 5 लाख रुपये से कम है, तो आपसे केवल 1,000 रुपये लेट फीस ली जाएगी। हालांकि अगर आपकी इनकम बेसिक छूट सीमा से कम है तो आपसे कोई लेट फीस नहीं वसूली जाएगी। साथ ही अगर आप कानूनी रूप से आईटीआर भरने के लिए बाध्य नहीं हैं और अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं तो आपसे भी लेट फीस नहीं वसूली जाएगी।

ब्याज

आईटी कानून की धारा 234A के अनुसार, यदि आप समय पर अपने करों का भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो आपको 1% प्रति माह की दर से अनपेड टैक्स अमाउंट पर ब्याज का भुगतान करना होगा। ब्याज की गणना उस समय से की जाती है जब आप लागू वित्तीय वर्ष के लिए अपना कर रिटर्न दाखिल करते हैं। उस समय से लेकर डेडलाइन तक कैल्कुलेशन किया जाता है।

कैरी फॉरवर्ड लॉस

यदि आयकर रिटर्न डेडलाइन से पहले दाखिल किया जाता है, तो नुकसान को भविष्य के वर्षों में ले जाया जा सकता है। इस नुकसान को आपकी भविष्य की आय से ऑफसेट किया जा सकता है। हालांकि, यदि ITR डेडलाइन के बाद दाखिल किया जाता है, तो आप लॉसेज को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति डेडलाइन की समाप्ति के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करता है, तो वह अन्य स्रोतों से आय, पूंजीगत लाभ से आय और सट्टा व्यवसाय सहित व्यवसाय और पेशे से आय को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकता है।

रिफंड में देरी

आईटीआर देरी से भरने पर रिफंड में भी देरी होगी। रिफंड तभी मिलेगा जब आईटीआर फाइल होगा और यह वेरिफाई होगा।

टैक्स रिजीम

जिन टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर भरने की डेडलाइन 31 जुलाई थी उनके लिए अब पुराना टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप नए टैक्स रिजीम के तहत टैक्स का बोझ अधिक होगा। वे कटौती और छूट का दावा नहीं कर सकते। मौजूदा आयकर कानूनों के अनुसार, नई कर व्यवस्था डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है। इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के पास पुराने टैक्स रिजीम में स्विच करने का विकल्प था लेकिन अब नहीं है।

जेल की सजा

Aekom Legal में पार्टनर लोकेश ध्यानी कहते हैं कि इनकट टैक्स एक्ट के तहत अगर आपने आईटीआर नहीं भरा या आप टैक्स नहीं देते हैं तो आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है। कानून में साफ कहा गया है कि रिटर्न दाखिल नहीं करने, इनकम छिपाने और फर्जी दावे करने पर जेल की सजा का प्रावधान है। अगर आपकी टैक्स देनदारी 25,000 रुपये से अधिक है तो आपको छह महीने से सात साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है। इसी तरह अगर आपकी टैक्स देनदारी 25,000 रुपये से कम है तो आपको तीन महीने से दो साल तक की कड़ी सजा हो सकती है। साथ ही फाइन भी देना पड़ सकता है।

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