एक दिन में ₹8,000 की उछाल… गिरते बाजार में सबसे महंगे शेयर के पीछे क्यों भाग रहे इनवेस्टर्स

देश की दिग्गज टायर कंपनी एमआरएफ लिमिटेड (MRF Limited) ने गुरुवार को अपना जून तिमाही का रिजल्ट जारी कर दिया। फाइनेंशियल ईयर 2024 की पहली तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 3% गिरावट के साथ 571 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल की समान तिमाही में यह 589 करोड़ रुपये था। इस दौरान कंपनी का राजस्व 12% बढ़कर 7,196 करोड़ रुपये हो गया जबकि एक साल पहले यह 6,440 करोड़ रुपये था। कंपनी ने पहली तिमाही के दौरान 679 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट हासिल किया जो पिछले साल की तुलना में 4% कम है। इस बीच गिरते बाजार में कंपनी का शेयर करीब छह फीसदी से उछल गया। कारोबार के दौरान यह करीब 8,000 रुपये उछलकर 142485.10 रुपये तक पहुंच गया था।

एमआरएफ देश का सबसे महंगा शेयर है। गुरुवार को परिणामों की घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों में करीब छह फीसदी तेजी आई। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 151,283.40 रुपये है। पिछले सत्र में यह 134661.95 रुपये पर बंद हुआ था और आज 135497.55 रुपये पर खुला। शेयर बाजार में गिरावट के बीच इसमें करीब छह फीसदी तेजी आई। इस तेजी के साथ ही कंपनी का मार्केट कैप 60 हजार करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है। कंपनी की अप्रैल-जून 2024 की अवधि के दौरान अन्य स्रोतों से इनकम पिछले साल की इसी अवधि के 74.69 करोड़ रुपये के मुकाबले 13% साल-दर-साल बढ़कर 84.04 करोड़ रुपये हो गई।

गुब्बारे बनाती थी कंपनी

आज एमआरएफ ही इसकी पहचान आज टायर बनाने वाली कंपनी के तौर पर है लेकिन कभी यह बच्चों के लिए गुब्बारे बनाया करती थी। इसका पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है। केरल के एक ईसाई परिवार में जन्मे के. एम मैमन मापिल्लई (K. M. Mammen Mappillai) ने देश की आजादी से एक साल पहले यानी 1946 में चेन्नई में गुब्बारे बनाने की एक छोटी यूनिट लगाई। बाद में उन्होंने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी से तकनीकी सहयोग लिया और टायर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर दी। साल 1961 में एमआरएफ की फैक्ट्री से पहला टायर बनकर निकला था। उसी साल कंपनी मद्रास स्टॉक एक्सचेंज में अपना आईपीओ लेकर आई थी। एमआरएफ ने भारत की सड़कों के अनुरूप टायर बनाना शुरू किया। एमआरएफ यहीं पर नहीं रुकी। एक अच्छी मार्केटिंग से कंपनी टायर मार्केट में छाने लगी।

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