सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर सरकार की कैंची! 38% कम कर दिया टारगेट, क्यों आई ऐसी नौबत?

सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करने के लक्ष्य को 38% कम कर दिया है। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि बेहतर विकल्पों के आने से निवेशकों की इसमें रुचि कम हो गई है। अब सरकार 2024-25 में ₹18,500 करोड़ का ‘पेपर गोल्ड’ जारी करने की योजना बना रही है। अंतरिम बजट में ₹29,638 करोड़ का अनुमान लगाया गया था और 2023-24 में ₹26,852 करोड़ (संशोधित अनुमान) रखा गया था। अधिकारी ने इकॉनमिक टाइम्स को नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह फैसला कई बातों को ध्यान में रखकर लिया गया है। इसमें निवेशकों की मांग, अन्य निवेश प्रोडक्ट और ग्लोबल इकॉनमी में अनिश्चितताएं शामिल हैं। फरवरी में अंतरिम बजट के बाद से स्थिति बदल गई है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत 2015 में हुई थी।

ILA कमोडिटीज इंडिया के डायरेक्टर हरीश गालिपेल्ली ने बताया कि कई रिटेल निवेशक अब इक्विटी में अपना निवेश कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे उन्हें बेहतर रिटर्न मिलेगा। हरीश का कहना है कि निवेशक इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि पिछले कुछ वर्षों में तेजी के बाद सोने की कीमतें (अल्पकालिक-मध्यकालिक में) आगे बढ़ेंगी या नहीं। इसी तरह, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की बचत पर रिटेल महंगाई और अन्य फैक्टर का असर पड़ा है। सरकार ने 2015 के अंत में गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम शुरू की थीं। इसका मकसद सोने की फिजिकल खरीद को कम करना और इंपोर्ट में कमी लाना था।

क्या था मकसद

इससे देश के करंट अकाउंट डिफिसिट पर पड़ने वाला असर कम हो सकेगा। गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का मकसद घरों, ट्रस्टों और अन्य लोगों के पास मौजूद बेकार सोने को निकाल कर घरेलू सप्लाई बढ़ाना है। ये दोनों योजनाएं सोने के इंपोर्ट को कम करने के लिए बनाई गई थीं। कच्चे तेल के साथ, सोने के आयात का भारत के करंट अकाउंट डेफिसिट में बहुत योगदान है।

इन दोनों योजनाओं से कुल ₹20,030 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। यह 2024-25 के लिए है। अंतरिम बजट में यह आंकड़ा ₹31,168 करोड़ था, और पिछले वित्तीय वर्ष में (संशोधित अनुमान) ₹28,240 करोड़ था। इसी तरह, नेट कलेक्शन₹16,433 करोड़ होने का अनुमान है। अंतरिम बजट में यह आंकड़ा ₹27,571 करोड़ था और पिछले साल ₹26,653 करोड़ था। गोल्ड बॉन्ड स्कीम का लक्ष्य उन लोगों से इनवेस्ट करना है जो सोने को एक निवेश के रूप में देखते हैं। इससे उन्हें फिजिकल गोल्ड की बजाय पेपर गोल्ड खरीदने में मदद मिलेगी।

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